Tuesday, 13 August 2013

डेढ़ गुनी ज्यादा सैलरी पर राहुल के ‘वॉर रूम’ से जुड़ रहे हैं पत्रकार


त्रिदीब रमण

सीनियर पत्रकारों में राहुल गांधी के ‘वॉर रूम’ ज्वाइन करने की होड़ मची है। हालिया दिनों में कम से कम डेढ़ दर्जन पत्रकार जिनमें से अधिकांश भाजपा बीट कवर कर रहे थे, उन्होंने अपनी जमी-जमायी अखबार की नौकरी को लात मार कर कोई डेढ़ गुनी बढ़ी हुई तनख्खाह पर राहुल का साथ ज्वाइन कर लिया है। राहुल और उनकी टीम ने भाजपा बीट कवर रहे पत्रकारों को महज इसीलिए प्रमुखता दी है कि इनका मानना है कि ये पत्रकार भाजपा व संघ की अंदरूनी राजनीति और उनकी चुनावी रणनीतियों को बखूबी समझते हैं। राहुल ने इन पत्रकारों से वादा किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद इन्हें उनके मूल संस्थानों में फिर से नौकरी दिलवा दी जाएगी। ‘वॉर रूम’ की नौकरी को ये पत्रकार भी खूब इंज्वाय कर रहे हैं, क्योंकि यहां काम का कोई तनाव नहीं है। ‘वॉर रूम’ में कोक, काफी की वेंडिंग मशीनों से लेकर किस्म-किस्म के सेंडविच की व्यवस्था है। जब यह पत्रकार फुर्सत में होते हैं तो राहुल की यार्कशायर टेरियर ब्रीड की मादा कुत्ता पिद्दी के संग खेल लिया करते हैं।    

सुचारू रूप से चल सकती है संसद

सोमवार से शुरू होने वाले संसद का मानसून सत्र के सुचारू रूप से चलने की संभावना है। कांग्रेस की डेमेज कंट्रोल टीम ने सर्वदलीय बैठक के बाद प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं से मिलने-जुलने का क्रम जारी रखा हुआ है। कांग्रेस रणनीतिकारों ने भाजपा और सपा दोनों दलों के समन्वय के लिए ज्यादा कोशिशें की हैं। सपा नेताओं की चिंता डिफेंस और टेलिकॉम सेक्टर में एफडीआई को लेकर है। वहीं सपा फूड सिक्यूरिटी बिल में एक तरह की पारदर्शिता चाहती है और सरकार से जानना चाहती है कि वे इस योजना को जन वितरण प्रणाली के साथ कैसे जोड़ेगी। वहीं भाजपा मोटे तौर पर फूड सिक्यूरिटी बिल और जमीन अधिग्रहण बिल को संसद में पास कराने के लिए तैयार हो गई है।

एक नए अवतार में अमर

अमर सिंह अपने एक नए सियासी अवतार में सामने आने को तैयार हैं। हालिया दिनों में सोनिया और राहुल से इनकी नज़दीकियां काफी बढ़ी हैं। इन्हें गांधी परिवार से नज़दीक लाने में दिग्गी राजा की एक महती भूमिका रही है। लिहाज़ा आने वाले लोकसभा चुनाव में पोस्ट पोल अलायंस को लेकर क्षेत्रीय दलों के साथ अमर की एक सक्रिय भूमिका हो सकती है। अमर की ममता बनर्जी, जयललिता, करूणानिधि और नवीन पटनायक जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों से काफी दोस्ती है। सो, वे चुनाव पश्चात इन क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के पाले में भी ला सकते हैं। पूर्व में जब अमर दुबई के एक निजी अस्पताल में अपना इलाज करा स्वदेश लौटने वाले थे तो उनके पुराने मित्र अनिल अंबानी ने अपना एक विशेष चार्टर्ड विमान उन्हें दिल्ली लाने के लिए दुबई भेजा था, पर अमर अंबानी के विशेष विमान की बजाए अपने एक शेख मित्र के चार्टर्ड विमान पर सवार होकर स्वदेश लौटे थे। जब वे दुबई में थे तो सोनिया गांधी ने भी बकायदा उन्हें फोन कर उनका कुशलक्षेम पूछा था। 

पलटवार को तैयार मोदी
पार्टी के अंदर और बाहर अपने धुर विरोधियों से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी की रणनीति तैयार है। सो, किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए जब आने वाले दिनों में मीडिया में लाल कृष्ण अडवानी, सुषमा स्वराज, यशवंत सिन्हा और शत्रुध्न सिन्हा जैसे भाजपा नेताओं के गड़े मुर्दे उखड़ जाएं। इस काम में मोदी को अमरीका की पीआर फर्म ‘एपको वर्ल्डवाइड’ का हर मुमकिन साथ मिल रहा है। अमरीका में रह रहे अपने कई अनिवासी भारतीय मित्रों की सलाह पर मोदी ने सर्वप्रथम अगस्त 2007 में पीआर कंपनी ‘एपको’ की सेवाएं ली थीं। तब से लेकर आज तक यह कंपनी मोदी और गुजरात को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने में जुटी है। ‘वायब्रेंट गुजरात’ कैंपेन का आइडिया भी इसी कंपनी  का बताया जाता है। सनद रहे कि अमिताभ बगान को गुजरात का ब्रांड एंबेसेडर बनाने और मोदी के लिए ‘नमो’ विशेषण प्रचारित करने में इसी कंपनी की भूमिका थी। सन्  2009 में मोदी ने इस कंपनी के साथ अपने करार को पुन: रिन्यू किया और बताया जाता है कि इस कंपनी के प्रयासों से अब तक गुजरात में 153बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश आ चुका है। इस कंपनी ने ‘वन इस्त्रायल’, ‘वन मलेशिया’ जैसे कई सफल राजनीतिक कैंपेन को परवान चढ़ाया है। भारत में इस कंपनी का आॅपरेशन मीडिया विशेषज्ञ सुकांति घोष देखते हैं।
 
कांग्रेस में इमेज चमकाने की होड़

अपने युवराज राहुल गांधी की देखा-देखी इनके कई दरबारी मंत्री भी अपनी इमेज चमकाने में जुट गए हैं। सूत्र बताते हैं कि पी.चिदंबरम, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी समेत कई कांग्रेसी मंत्रियों ने अपनी इमेज चमकाने के लिए अलग-अलग पीआर एजेंसियों का सहारा लिया है। वहीं राहुल की हालिया डांट के बाद कांग्रेसी मंत्रियों के तेवर भी ढीले हुए हैं और विपक्ष पर हमला साधने में वे शब्दोंं का भी सोच-समझकर चयन कर रहे हैं।

दिल तो बगाा है जी।

कहते हैं इश्क व मुश्क छुपाए नहीं छुपते, कांग्रेस के एक बड़े और बड़बोले नेता के साथ भी ऐसा ही है। वे एक बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, अपने मुख्यमंत्रित्व काल में इनका दिल एक एंग्लो इंडियन महिला पर आ गया। इस एंग्लो इंडियन युवती की मां श्रीमती इंदिरा गांधी की गवर्नेंस रह चुकी हैं। तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री साहब को बखूबी इस बात का इल्म था कि यह एंग्लो इंडियन युवती शादी-शुदा है, पर दिल तो बगाा है जी, वे अपने इश्क के तूफां को कहां रोक पाए और उन्होंने उस युवती को एंग्लो इंडियन कोटे से विधान परिषद में नॉमिनेट कर दिया और युवती के वकील पति को राज्य का एटॉर्नी जनरल नियुक्त कर दिया। आज की तारीख में वह युवती जो अब एक परिपक्व महिला हो चुकी है अपने पति और बेटी के साथ दिल्ली से सटे नोएडा में रहती है। पति और बेटी दोनों ही सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं। नेताजी अब भी इस महिला के निरंतर संपर्क में हैं, पर जब मियां-बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी। समझा जाता है कि इस राजनेता के देश के तीन शीर्ष उद्योगपतियों की कंपनियों में 100 करोड़ से ज्यादा का निवेश है।

राजनाथ के बड़े मंसूबे
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह जब से अमेरिका से लौट कर स्वदेश आए हैं उनके इरादे बम-बम हैं, बड़े बोल और बड़े फैसलों के हिमायती हो गए हैं, उनके राजनैतिक सलाहकारों और ज्योतिषियों ने उन्हें समझा दिया है कि ‘भाजपा की ओर से बस दो ही लोग प्रधानमंत्री बनने की रेस में हैं-एक नरेंद्र मोदी, दूसरे स्वयं राजनाथ। नरेंद्र मोदी की पार्टी और पार्टी से बाहर उनकी स्वीकार्यता को लेकर कई प्रश्नचिन्ह लगे हुए हैं। वहीं राजनाथ के नाम का कोई विरोध नहीं, चुनांचे 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं कहीं कम नहीं।’ राजनाथ के पांव अब जमीं पर कम, मंदिरों व गुरूओं के दरबार में ज्यादा पड़ रहे हैं। अभी हालिया दिनों में उन्होंने असम के प्रख्यात कामाख्या देवी मंदिर में एक बड़ा यज्ञ करवाया है और इस यज्ञ के निहितार्थ क्या हैं, यह कोई छुपी बात नहीं रह गई।

मोदी को धन देने की होड़

भाजपा से सहानुभूति रखने वाले प्रमुख उद्योगपतियों से नरेंद्र मोदी ने निरंतर संपर्क बनाया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि मोदी ने इन उद्योगपतियों से साफ कह रखा है कि वे भाजपा के किसी नेता को व्यक्तिगत तौर पर फंड न करें, उन्हें जो भी पैसा देना है वह पार्टी के केंद्रीय कोष में जमा कराएं। मोदी ने साफ कर दिया है कि आने वाले चुनाव में हर भाजपा प्रत्याशी को कितना धन दिया जाना है इसका निर्धारण वे स्वयं करेंगे। पर उड़ती चिड़िया के पर गिनने में माहिर थैलीशाह मोदी के मंतव्य को भली-भांति भांप गए हैं और इनमें से कईयों ने तो अभी से मोदी को चंदा देना शुरू कर दिया है। देश के एक बड़े उद्योगपति ने तो वादा किया है कि मोदी की इमेज व ब्रांड बिल्डिंग में जितना पैसा खर्च हो रहा है इसका व्यय वे स्वयं वहन करेंगे। सूत्र बताते हैं कि गुजरात से भावनात्मक लगाव रखने वाले इस उद्योगपति ने अभी से इसका खर्च उठाना भी शुरू कर दिया है।  

दलबदल की होड़

चुनावी मौसम आ चुका है, लिहाज़ा सियासत में एक-दूसरे के घर आने-जाने की रवायतें भी शुरू हो गई हैं। नरेंद्र मोदी के चुनावी प्रचार की बागडोर संभालने के बाद से भाजपा के बाज़ार भाव में इजाफा हुआ है। सो, अन्य दलों के कई नेता भाजपा ज्वाइन करने को तैयार बैठे हैं। हैरत की बात तो यह कि इन कतारबद्द नेताओं में कांग्रेसी नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। हरियाणा के एक बड़े बिजनेसमैन टर्न राजनेता ने भी हालिया दिनों में भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं से मिलकर पाला बदल की इ छा जतायी है। सनद रहे कि ये फिलहाल कांग्रेस में हैं और कांग्रेस को चुनावी चंदा देने में उनका कोई सानी नहीं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेसी नेता पाला बदल को इ छुक बताए जाते हैं।

...और अंत में

आखिर बकरे की मां कब तक ख़ैर मनाएगी। 2जी मामले में भयंकर उथल-पुथल लाने वाली देश की एक प्रमुख कारपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया को लेकर कोर्ट का रूख सख्त हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर नीरा राडिया मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द किया जा सकता है।  (एनटीआई)