आत्मरक्षा
नागकन्या, नागलोक आदि की कहानियां पुराणों, लोकगाथाओं में भरी पड़ी हैं। इनका ऐतिहासिक प्रमाण मिले न मिले, झारखंड के संथाल परगना इलाके में तो आज भी नाग कन्याएं निवास करती हैं। इन संथाली आदिवासी बालाओं को यहां नाग कन्या के तौर पर ही माना जाता है। ये बालाएं अपने दुश्मनों के लिए ठीक उसी तरह खतरनाक हैं जैसे की चोट खायी हुई नागिन।
झारखंड के संथाल परगना इलाके आदिवासी लड़कियां अपने आबरु की हिफाजत के लिए खतरनाक जहर रखती है। इनके पास ऐसा जहर है जो जहरीले सांप, जहरीले बिच्छू और जहरीले मेंढ़क से निकाले गये हैं। इस जहर में स्थानीय लोहार तीर और छोटे नस्तर को बड़ी बारीकी से पिरोते हैं। ताकि ऐसे नस्तर में परत दर परत जहर पूरी तरह समा जाये। ऐसा करने पर ये नस्तर और तीर इतने जहरीले हो जाते हैं कि जिस्म पर लगते ही पूरा शरीर पंगु हो जाता है।
हैरत की बात यह है कि आदिवासी ऐसे जहर को कहीं बाहर से नहीं मंगवाते बल्कि खुद जंगलों में ही जहरीले सांपों का शिकार कर तैयार करते हैं। आदिवासियों का सबसे पसंदीदा सांप करैत, गेहुमन और खरीश है जो आज भी इन आदिवासी इलाको में खूब मिलता है। वैसे कभी-कभी सपेरों की सहायता से भी ये लोग जहर निकालते हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि सांप के जहर को गर्म कर इसे बनाया जाता है। यह हाथ से छूने पर खतरनाक है। जहरीले तीर का इस्तेमाल आदिवासी जंगल में रहने वाले खतरनाक जानवरों से अपने आपको बचाने के लिए सदियों से करते रहे हैं। यहां एक नन्हा नस्तर भी इनके पास रहता है। यह जितना छोटा है उतना ही खतरनाक भी। ये नस्तर आदिवासी लड़कियां अपने पास रखती है। ताकि किसी भी तरह की विपदा में वो इसका इस्तेमाल कर सकें।
सुबह होते ही इन आदिवासी लड़कियों का अधिकतर समय जंगलों में ही गुजरता है। लकड़ी काटने से लेकर पत्ते चुनने तक में। ऐसे में इन सुदूर जंगलों में कब इनकी अस्मत खतरे में पड़ जाये कहा नहीं जा सकता है। आदिवासी लड़की कामिनी बेसरा कहती है कि जब वे जंगल जाती हैं तो उनके पास इस छोटे नस्तर रहने से डर नहीं लगता। वो अपने को हथियारों से लैस समझती हैं। ऐसे में वो इसी नस्तर से अपना बचाव करती हैं। आम तौर पर ये आदिवासी लड़कियां इस नस्तर को या तो कमर में छिपा कर रखती हैं या फिर ताबीज की तरह ही अपने बाजु या गले में बांध कर रखती है। ताकि किसी भी समय निकालने में आसानी हो। ये नस्तर पर चढ़ा खतरनाक जहर का एक वार ही पूरे शरीर को शिथिल कर देने के लिए काफी है। यही वजह है की झारखंड के संथाल परगना में संथाली बालाएं नाग कन्या बनी फिरती हैं। नि:संकोच जंगलों में घूमने वाली ये लड़कियां थी उसे तरह सरसराती हुई जंगलों को छानती हैं जैसे की मस्त नागिन हों। ऐसे में किसी की मजाल नहीं कि कोई इनके पास आने की हिमाकत कर सके।
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नागकन्या, नागलोक आदि की कहानियां पुराणों, लोकगाथाओं में भरी पड़ी हैं। इनका ऐतिहासिक प्रमाण मिले न मिले, झारखंड के संथाल परगना इलाके में तो आज भी नाग कन्याएं निवास करती हैं। इन संथाली आदिवासी बालाओं को यहां नाग कन्या के तौर पर ही माना जाता है। ये बालाएं अपने दुश्मनों के लिए ठीक उसी तरह खतरनाक हैं जैसे की चोट खायी हुई नागिन।
झारखंड के संथाल परगना इलाके आदिवासी लड़कियां अपने आबरु की हिफाजत के लिए खतरनाक जहर रखती है। इनके पास ऐसा जहर है जो जहरीले सांप, जहरीले बिच्छू और जहरीले मेंढ़क से निकाले गये हैं। इस जहर में स्थानीय लोहार तीर और छोटे नस्तर को बड़ी बारीकी से पिरोते हैं। ताकि ऐसे नस्तर में परत दर परत जहर पूरी तरह समा जाये। ऐसा करने पर ये नस्तर और तीर इतने जहरीले हो जाते हैं कि जिस्म पर लगते ही पूरा शरीर पंगु हो जाता है।
हैरत की बात यह है कि आदिवासी ऐसे जहर को कहीं बाहर से नहीं मंगवाते बल्कि खुद जंगलों में ही जहरीले सांपों का शिकार कर तैयार करते हैं। आदिवासियों का सबसे पसंदीदा सांप करैत, गेहुमन और खरीश है जो आज भी इन आदिवासी इलाको में खूब मिलता है। वैसे कभी-कभी सपेरों की सहायता से भी ये लोग जहर निकालते हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि सांप के जहर को गर्म कर इसे बनाया जाता है। यह हाथ से छूने पर खतरनाक है। जहरीले तीर का इस्तेमाल आदिवासी जंगल में रहने वाले खतरनाक जानवरों से अपने आपको बचाने के लिए सदियों से करते रहे हैं। यहां एक नन्हा नस्तर भी इनके पास रहता है। यह जितना छोटा है उतना ही खतरनाक भी। ये नस्तर आदिवासी लड़कियां अपने पास रखती है। ताकि किसी भी तरह की विपदा में वो इसका इस्तेमाल कर सकें।
सुबह होते ही इन आदिवासी लड़कियों का अधिकतर समय जंगलों में ही गुजरता है। लकड़ी काटने से लेकर पत्ते चुनने तक में। ऐसे में इन सुदूर जंगलों में कब इनकी अस्मत खतरे में पड़ जाये कहा नहीं जा सकता है। आदिवासी लड़की कामिनी बेसरा कहती है कि जब वे जंगल जाती हैं तो उनके पास इस छोटे नस्तर रहने से डर नहीं लगता। वो अपने को हथियारों से लैस समझती हैं। ऐसे में वो इसी नस्तर से अपना बचाव करती हैं। आम तौर पर ये आदिवासी लड़कियां इस नस्तर को या तो कमर में छिपा कर रखती हैं या फिर ताबीज की तरह ही अपने बाजु या गले में बांध कर रखती है। ताकि किसी भी समय निकालने में आसानी हो। ये नस्तर पर चढ़ा खतरनाक जहर का एक वार ही पूरे शरीर को शिथिल कर देने के लिए काफी है। यही वजह है की झारखंड के संथाल परगना में संथाली बालाएं नाग कन्या बनी फिरती हैं। नि:संकोच जंगलों में घूमने वाली ये लड़कियां थी उसे तरह सरसराती हुई जंगलों को छानती हैं जैसे की मस्त नागिन हों। ऐसे में किसी की मजाल नहीं कि कोई इनके पास आने की हिमाकत कर सके।
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म एडम्स KEVIN, Aiico बीमा plc को एक प्रतिनिधि, हामी भरोसा र एक ऋण बाहिर दिन मा व्यक्तिगत मतभेद आदर। हामी ऋण चासो दर को 2% प्रदान गर्नेछ। तपाईं यस व्यवसाय मा चासो हो भने अब आफ्नो ऋण कागजातहरू ठीक जारी हस्तांतरण ई-मेल (adams.credi@gmail.com) गरेर हामीलाई सम्पर्क। Plc.you पनि इमेल गरेर हामीलाई सम्पर्क गर्न सक्नुहुन्छ तपाईं aiico बीमा गर्न धेरै स्वागत छ भने व्यापार वा स्कूल स्थापित गर्न एक ऋण आवश्यकता हो (aiicco_insuranceplc@yahoo.com) हामी सन्तुलन स्थानान्तरण अनुरोध गर्न सक्छौं पहिलो हप्ता।
ReplyDeleteव्यक्तिगत व्यवसायका लागि ऋण चाहिन्छ? तपाईं आफ्नो इमेल संपर्क भने उपरोक्त तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण प्रक्रिया गर्न
ठीक।