Saturday, 26 May 2012

टाट पहनने वाले बाबा की खबरों की ठाठ


                       -गहरा सकता है बाबा जय गुरुदेव की संपत्ति के उत्तराधिकार का हक


टाट पहनने वाले की ठाठ
-अरबों का बैंक बैलेंस, 150 करोड़ की कारें
-कुल 4 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन
- हर माह 10-12 लाख दान में
-ट्रस्ट के नाम पर स्कूल और पेट्रोल पंप भी


मथुरा। 18 मई को में ब्रह्मलीन हुए बाबा जय गुरुदेव की संपत्ति को जो ब्यौरा लोगों के सामने आ रहा है, वह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। बाबा की संपत्ति के अनुमान के मुताबिक बाबा 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का साम्राज्य छोड़ गए हैं। बाबा टाट के वस्त्र धारण करने की नसीहत देते थे, लेकिन उनकी संपत्ति से ठाठ का अंदाज लगाया जा सकता है। संभावना है कि अब इस  संपत्ति के उत्तराधिकार का विवाद गहरा सकता है। बाबा के आश्रम को हर महीने दस-बारह लाख रुपए का दान मिलता रहा है, इसमें पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और होली के आयोजनों पर आने वाला दान शामिल नहीं है।
बाबा के ट्रस्ट के मथुरा में आधा दर्जन से ज्यादा बैंकों में खाते व मियादी जमा रुपये हैं। भारतीय स्टेट बैंक के मंडी समिति शाखा में एक अरब रुपए जमा होने के बारे में जानकारी मिल रही है। मियादी जमा भी कई अरब रुपयों का है।  अचल संपत्ति में ज्यादातर मथुरा-दिल्ली हाईवे पर एक तरफ साधना केंद्र से जुड़ी जमीनें हैं, तो दूसरी तरफ बाबा का आश्रम है। तीन सौ बीघे जमीन पर एक आश्रम इटावा के पास खितौरा में बन रहा है। एक अनुमान के मुताबिक बाबा के ट्रस्ट के पास चार हजार एकड़ से ज्यादा जमीन है। जय गुरुदेव के ट्रस्ट के नाम से मथुरा में स्कूल और पेट्रोल पंप भी हैं।  बाबा के आश्रम में दुनिया की सबसे महंगी गाड़ियों का काफिला है। इसमें पांच करोड़ से ज्यादा कीमत की लिमोजिन गाड़ी भी है। करोड़ों की प्लेमाउथ, ओल्ड स्कोडा, मर्सडीज बेंज और बीएमडब्ल्यू सहित तमाम गाडियों की कीमत 150 करोड़ के आसपास आंकी जा रही है।

7 साल की उम्र में हुए थे अनाथ

बाबा जय गुरुदेव के बचपन का नाम तुलसीदास था। उनकी जन्म तिथि के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। सात साल की उम्र में ही तुलसीदास के मां-बाप का निधन हो गया था। तभी से वह मंदिर-मस्जिद और चर्च जाने लगे। कुछ समय बाद घूमते-घूमते अलीगढ़ के चिरौली गांव पहुंचे। वहां घूरेलाल शर्मा को उन्होंने अपना गुरु बना लिया। दिसंबर 1950 में उनके गुरु नहीं रहे। बाबा जय गुरुदेव ने दस जुलाई 52 को बनारस में पहला प्रवचन दिया था।

जेल गए, संसद चुनाव हारे

29 जून 75 के आपातकाल के दौरान वे जेल गए, आगरा सेंट्रल, बरेली सेंटल जेल, बेंगलूर की जेल के बाद उन्हें नई दिल्ली के तिहाड़ जेल ले जाया गया। वहां से वह 23 मार्च 77 को रिहा हुए। 1980 और 90 के दशक में दूरदर्शी पार्टी बनाकर संसद का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई।

अवतारी नहीं खुद को कट्टर हिंदू कहते थे

जय बाबा गुरुदेव ने कोलकाता में पांच फरवरी 1973 को सत्संग सुनने आए अनुयायियों के सामने कहा था कि सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं- मैं इस किराए के मकान में पांच तत्व से बना साढ़े तीन हाथ का आदमी हूं। इसके बाद उन्होंने कहा था- मैं सनातन धर्मी हूं, कट्टर हिंदू हूं, न बीड़ी पीता हूं न गांजा, भांग, शराब और न ताड़ी। आप सबका सेवादार हूं। मेरा उद्देश्य है सारे देश में घूम-घूम कर जय गुरुदेव नाम का प्रचार करना। मैं कोई फकीर और महात्मा नहीं हूं। मैं न तो कोई औलिया हूं न कोई पैगंबर और न अवतारी।

मथुरा में बना पहला आश्रम
गुरु के आदेश का पालन करते हुए बाबा जय गुरुदेव ने कृष्णानगर (मथुरा) में चिरौली संत आश्रम बनाया। बाद में नेशनल हाइवे के किनारे एक आश्रम बनवाया। नेशनल हाइवे के किनारे ही उनका भव्य स्मृति चिन्ह जय गुरुदेव नाम योग साधना मंदिर है। यहां दर्शन 2002 से शुरू हुआ था। नाम योग साधना मंदिर में सर्वधर्म समभाव के दर्शन होते हैं। इस समय आश्रम परिसर में ही कुटिया का निर्माण करा रहे थे।

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